Font by Mehr Nastaliq Web

गेंद की तरह

gend ki tarah

राजेश सकलानी

अन्य

अन्य

राजेश सकलानी

गेंद की तरह

राजेश सकलानी

और अधिकराजेश सकलानी

    कौन देश से आई हो

    किसके हाथों उपजाई हो

    गदराई हुई मटर की फलियों

    जैसे धूप टोकरी से कहती हो

    मैं लगा छीलने फलियाँ

    एक दाना छिटक कर गया यहाँ-वहाँ

    लगा ढूँढ़ने उसे मेज़ के नीचे

    वह नटखट जैसे छिपता हो

    फिर सोचा एक ही दाना है

    लगा दूसरी फलियों को छूने

    लेकिन नहीं, बार-बार वह आँखों में कौंधता

    आख़िर गया तो गया कहाँ

    वह कसा-कसा हरियाला

    मिल जाए तुरत उसे छू लूँ

    काग़ज़, किताब, जूते सब उठा पलटकर

    मैं लगा देखने

    एक ओर मेरा समय

    दूसरी ओर मटर के दाने का इतराना

    ज्यों-ज्यों आगे लगा काम में

    लगता जैसे अभी-अभी वह गेंद की तरह

    टप्पा खाकर उछला है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पुश्तों का बयान (पृष्ठ 16)
    • रचनाकार : राजेश सकलानी
    • प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
    • संस्करण : 2011

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए