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बुझते दीप का आत्म-निवेदन

bujhte deep ka aatm niwedan

रामावतार त्यागी

अन्य

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रामावतार त्यागी

बुझते दीप का आत्म-निवेदन

रामावतार त्यागी

और अधिकरामावतार त्यागी

    अपनी उम्र कर चुका पूरी

    छूट गए सब काम अधूरे

    मेरे अशुभ अनमने सिरजन

    अशुभ मुझको कभी क्षमा मत करना।

    जीवन का अमृत निचोड़कर प्यासे यम को पिला दिया है

    मैंने अपनी माँ के पुण्यों को मिट्टी में मिला दिया है,

    मेरे रचनाकार, तुम्हारे

    फूल अगर रह जाए अनचुने

    मेरे पद दलित आचमन

    मुझको कभी क्षमा मत करना।

    ले डूबेगा बीच भंवर में इसका मुझको नहीं ज्ञान था

    अपने मन पर मुझको अपने भाई से ज़्यादा गुमान था

    अपने ही विश्वास घात से

    मेरे सब संकल्प पराजित

    मेरे उदास घर-आँगन

    मुझको कभी क्षमा मत करना।

    ममता दृष्टि माँगती, यौवन माँग रहा शृंगार सलोना

    बचपन मार-मार किलकारी माँग रहा है सुघर खिलौना

    मैं कर्त्तव्यहीन, मैं कायर

    जो बिक जाता मृत्यु के हाथों

    मुझ पनघट के प्यासे बचपन

    मुझको कभी क्षमा मत करना।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कविता सदी (पृष्ठ 325)
    • संपादक : सुरेश सलिल
    • रचनाकार : रामावतार त्यागी
    • प्रकाशन : राजपाल एंड संस
    • संस्करण : 2018

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