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एक आग है

ek aag hai

मलय

अन्य

अन्य

मलय

एक आग है

मलय

और अधिकमलय

    कोई एक आग है

    जो नज़दीक आकर

    तपने से रचने लगती है

    अपने को

    सामने को

    गलाती है

    पिघलाकर रिझाती है

    नई ज़िंदगी के

    खुल खिलते रंगों के लिए

    नए स्रोत की तपिश से

    सुगंध बनकर फैलने के लिए

    पुकार बनकर

    हज़ार बाँहों तक में अदृश्य समाकर

    रग-रग की ताक़त होकर

    ललकारने के लिए

    आग़ोश में होते

    भरे स्नान की तरह उतरते

    बरसती है कविता

    एक-एक बूँद ज़मीन पर गिरे बग़ैर

    भिगोती है

    धीरे सोचती शरीर होती जाती है

    आँखें खुली रखती है तो

    आकाश छोटा पड़ जाता है

    पर भर जाता है

    किसी ज़माने में

    स्पर्श के चुंबनों की तरह

    भाषा उगती थी

    उठते हुए रोमों की तरह

    तृण को दूब-सा लहराने की भाषा

    अब आँख की चुभती देख से त्वरित

    हर चीज़

    कोयले-सी दहक उठती है

    ज़िंदगी आग में नहाकर

    स्वस्थ होने की क़ाबिलियत

    ले रही है क्या?

    चीज़ों में भिदी हुई आग का

    रूप ले लेगी कविता क्या?

    स्वस्थ होने की क़ाबिलियत

    कोयले-सी दहक उठती है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मलय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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