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शाम—एक किसान

sham—ek kisan

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

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और अधिकसर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा सातवी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    आकाश का साफ़ा बाँधकर

    सूरज की चिलम खींचता

    बैठा है पहाड़,

    घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,

    पास ही दहक रही है

    पलाश के जंगल की अँगीठी

    अंधकार दूर पूर्व में

    सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।

    अचानक—बोला मोर।

    जैसे किसी ने आवाज़ दी—

    ‘सुनते हो’।

    चिलम औंधी

    धुआँ उठा—

    सूरज डूबा

    अँधेरा छा गया।

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    सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    स्रोत :
    • पुस्तक : वसंत (भाग-2) (पृष्ठ 47)
    • रचनाकार : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022

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