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शिनाख़्त का सच

shinakht ka sach

दर्शन बुट्टर

दर्शन बुट्टर

शिनाख़्त का सच

दर्शन बुट्टर
जिज्ञासा

हे गुरुदेव! 
जितने टुकड़े दर्पण के 
उतने ही टुकड़े मेरे अक्स के 
चटखे दर्पण में से 
असल चेहरे की शिनाख़्त कैसे करूँ

एक चेहरा ख़ुदगर्ज़ी का 
निज के चौतरफ़ा परिक्रमा करता 
अपनी धुरी के गिर्द 
कायनात को घुमाना चाहता

एक चेहरा अहं का 
औरों से बित्ताभर ऊँचा चलता 
धरती को बाँधता चुन्नी के छोर में 
काल को चोटी में पिरोता

एक चेहरा लालसा का 
अपने हवस की धूल उड़ाता 
अंबर को घर तक सीमित करता 
क़ुदरत से चाकरी कराता

एक चेहरा सत्ता का 
धूप-छाँव पर हुक्म चलाता 
जंगल को सूली पर टाँगता 
नदियों पर मर्ज़ी ठोकता

एक मद्धम-सा चेहरा करुणा का 
छिप-छिप कर आँसू बहाता
कड़कती बिजली में 
बादल के छोर से आँखें पोंछता

मेरे छिपे चेहरे तो प्रत्यक्ष हो गए 
दर्पण के चटखने से 
पर नेकी बदी की कशमकश में 
मेरा साँच क्या है भला! 
मेरे भीतर जो चकनाचूर हुआ 
वह काँच क्या है भला...


गुरुदेव

चटखे दर्षण पर नंगे पैर चलिए तो 
सारी मैल धो देता है बहता लहू 
बारीक टुकड़े आँखों से चुगिए 
वो असली चेहरा साकार होता है

नेकी और बदी घुली होती गुढ़ती1बच्चे के जन्म के बाद उसके मुँह में सर्व में ही 
हमउम्र भर इस द्वंद में से 
अपनी शिनाख़्त तलाशते रहते

हासिल पलों की ख़ुशी के लिए 
अलामतों को सहलाते रहते 
अगली साँसों की हिफ़ाज़त के लिए 
ज़मीर को कोसते रहते

ज़मीर ही दर्पण का दूसरा नाम 
किसी कुएँ में उतर जाइए
चाहे तारों में छिप जाइए 
बच नहीं सकते अंतःकरण से

हर चेहरे की छिपी हुई छवि होती 
हर शीशे का अपना सच 
किसी विलक्षण पल में ही हम 
मौलिक सच के रूबरू होते

इतना ही काफ़ी 
कि सलामत है मद्धम-सी करुणा 
शीशे पर की धुँध उड़ जाएगी 
सुलगते निःश्वासों की तपिश से

भीगे बादलों से 
आँखें न पोंछ 
एक दो आँसू बचा कर रख 
तारों की रूमाल के लिए

दिन चढ़ते देखेगी 
अपना निर्मल मासूम चेहरा...
स्रोत :
  • पुस्तक : महाकंपन (पृष्ठ 27)
  • रचनाकार : दर्शन बुट्टर
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2016
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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