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एक दारुण उपस्थिति

ek darun upasthiti

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

अन्य

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फेदेरीको गार्सिया लोर्का

एक दारुण उपस्थिति

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

और अधिकफेदेरीको गार्सिया लोर्का

    (लोर्का के दीवान से : ग़ज़ल)

    मुझे चाहिए पानी का अलक्षित गोमुख

    घाटियों से पवन का उत्स।

    आँखों में छूटी हुई रात

    सहस्त्रदल कमल में परिवर्तित हृदय।

    साँड को करने दो वार्तालाप ऊँची घासों से

    केंचुओं को सड़ी मिट्टी में दो मरने।

    खोपड़ियों में सेंध लगाए दाँतों को चमकने दो

    कफ़न को पड़ जाने दो और पीला।

    मैं भी रात की इस मुठभेड़ में शामिल हूँ

    जिसमें हमारा प्रतिद्वंद्वी है यह चाँद।

    मैं सारी की सारी जानलेवा संध्याओं से

    गुज़र सकता हूँ

    और समय के समस्त प्रवेशद्वारों को

    लाँघ सकता हूँ

    लेकिन मत उघाड़ो वनस्पतियों के नीचे

    विकसित अपनी नागफनियाँ।

    अपने आक्रांता वैभव से दूर

    मुझे जाने दो डरपोक काले नक्षत्रों तक

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 413)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : फेदेरीको गार्सिया लोर्का
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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