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सनातनता

sanatanta

शांदोर वोरोश

अन्य

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शांदोर वोरोश

सनातनता

शांदोर वोरोश

और अधिकशांदोर वोरोश

    पृथ्वी, जिस पर जीव पनपते हैं,

    सर्वग्रासी समाधि,

    मैदान, पर्वत, सागर, नदी :

    यह लगता सनातन है और है क्षणभंगुर।

    अंतरिक्ष और व्योम,

    अनगिन आवर्त्तमान नक्षत्र-योग,

    अरबों देदीप्य-लोक :

    ये लगते सनातन हैं और हैं क्षणभंगुर।

    वह सब जिसे डुबो देती है विस्मृति,

    एक छिपकली की तड़प, एक पंख की फड़फड़ाहट,

    एक कंपन जो थर्राता दूर चला जाता है :

    यह लगता क्षणभंगुर है और है सनातन।

    क्योंकि जो घटित हुआ एक बार

    वह नहीं बदलता किसी के आदेश से,

    चाहे वह प्रभु का हो चाहे शैतान का :

    यह लगता क्षणभंगुर है और है सनातन।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दस आधुनिक हंगारी कवि (पृष्ठ 40)
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक-गिरधर राठी और मारगित कोवैश
    • प्रकाशन : वाग्देवी प्रकाशन
    • संस्करण : 2008

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