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दुरमुट

durmut

प्रताप सहगल

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और अधिकप्रताप सहगल

    मज़दूर के हाथों

    रोड़ी कूटता दुरमुट

    फिसल जाता है

    हथिया लेता है उसे डॉक्टर

    और मोटी सुई बना लेता है

    मास्टर के हाथों में

    छड़ी बन जाता है दुरमुट

    पिता के हाथों आदेश

    राजनेता के हाथ में

    स्टेनगन होता है दुरमुट

    और धर्माचार्य के होंठों पर

    काला मंत्र

    अजीब शै है दुरमुट

    हाथ बदलते ही शक्ल बदलता है

    सुई, छड़ी, आदेश, काला मंत्र

    या नौकरशाह की

    भारी-भरकम क़लम

    कितना अच्छा लगता है

    मज़दूर के हाथों मे ही दुरमुट

    समतल करता ज़मीन

    उस पर बनता है फ़र्श

    फ़र्श पर ही टिके रहते है पाँव

    वही से दिखते है शहर, क़स्बे और गाँव।

    दुरमुट का हाथ बदलना

    इतिहास में बार-बार हुई दुर्घटना है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मुक्ति-द्वार के सामने (पृष्ठ 50)
    • रचनाकार : प्रताप सहगल
    • प्रकाशन : अमरसत्य प्रकाशन
    • संस्करण : 2012

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