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दिल मैं और तुम

dil main aur tum

ममता जयंत

अन्य

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ममता जयंत

दिल मैं और तुम

ममता जयंत

और अधिकममता जयंत

    एक दिल है 

    एक मैं और एक तुम 

    दिल जिसने पाल रखी हैं ढेरों उम्मीदें 

    कभी ख़ुद से खफ़ा कभी मुझसे और कभी तुमसे 

    उसे नहीं पता 

    उम्मीदें ग़म की वजह हुआ करती हैं 

    ग़म, जिन्हें पालने की ज़रूरत नहीं पड़ती 

    ख़ुद-ब-ख़ुद पल जाते हैं 

    दुनिया दिल की नहीं सुनती

    दिल दुनिया की दलीलें मानता 

    बेशक!

    ज़ुदा हैं दोनों एक दूसरे से 

    फिर भी दलीलें भारी हैं दिल पर

    बोझ जिनका आँखें सहती हैं 

    दिल कहता है वे गवाही देती हैं 

    मालूम कौन है तार जुड़ा है दिल का आँखों से?

    जिसे मैं जान पाती तुम 

    दिल की तकलीफ़ क्या है 

    किसी को नहीं पता!

    स्रोत :
    • रचनाकार : ममता जयंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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