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धरती का भगवान

dharti ka bhagwan

जैमिनी हरियाणवी

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जैमिनी हरियाणवी

धरती का भगवान

जैमिनी हरियाणवी

और अधिकजैमिनी हरियाणवी

    दो बैलों की जोड़ी लिए किसान चला

    देखो रे वो धरती का भगवान चला!

    तेरी टाँगें थकतीं, नहीं थकते बाज़ू तेरे

    सोना बन के निकलेंगे तू ने जहाँ बीज बखेरे

    अन्नदाता का रूप धरे इंसान चला

    देखो रे वो धरती का भगवान चला!

    परवाह खाने-पीने की, ही अपने रूप की है

    सर्दी, गर्मी, बारिश, लूएँ, ही चिंता धूप की है

    अपने होंठों पर लेकर मुस्कान चला

    देखो रे वो धरती का भगवान चला!

    कारीगर, मज़दूर, मंत्री कहते हैं सब व्यापारी

    तेरे सहारे हैं जीते सभी देश के नर-नारी

    लाड़ला माँ का औ’ भारत की शान चला

    दो बैलों की जोड़ी लिए किसान चला

    देखो रे वो धरती का भगवान चला!

    स्रोत :
    • पुस्तक : हास्य-व्यंग्य की शिखर कविताएँ (पृष्ठ 117)
    • संपादक : अरुण जैमिनी
    • रचनाकार : जैमिनी हरियाणवी
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण पेपरबैक्स
    • संस्करण : 2013

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