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पानी उबल रहा है

pani ubal raha hai

अनुवाद : देवेश पथ सारिया

चेन कुन-लुन

अन्य

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चेन कुन-लुन

पानी उबल रहा है

चेन कुन-लुन

और अधिकचेन कुन-लुन

     

    बर्तन में उबल रहा है पानी
    भाग जाना चाहता है वह
    पर चारों तरफ़ हैं
    लोहे की दीवारें

    इनकार करता
    नाकाबंदी सहन करने से 
    पानी का कुछ भाग
    बन जाता है भाप
    और उड़ जाता है
    नीले आसमान की ओर

    जलन के इस दर्द को सहता
    बर्तन का पानी
    रो पड़ता है आख़िरकार
    देखकर
    चाय पीने वाले को
    जो कोशिश में है
    अपनी प्यास बुझाने की।

        
    स्रोत :
    • रचनाकार : चेन कुन-लुन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए अनुवादक द्वारा चयनित

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