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आमजन की बेचारगी

amjan ki becharagi

मनोज मोहन

अन्य

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मनोज मोहन

आमजन की बेचारगी

मनोज मोहन

और अधिकमनोज मोहन

    तुम कह सकते हो मैं कुछ भी नहीं जानता

    मेरी असफलता व्यक्तिगत है सामाजिक नहीं

    तुम कह सकते हो मैं कुछ भी नहीं समझता

    मेरा दिमाग़ सत्य पहचानता है झूठ नहीं

    तुम कह सकते हो मैं कुछ करना नहीं चाहता

    मेरे चारों तरफ़ दरवाज़े बंद हैं

    संभावनाओं के द्वार दूसरों के लिए खोल दिए गए है

    तुम कह सकते हो मैं सफल नहीं होना चाहता

    मैं ज़रूरतमंदों से मुख़ातिब रहा हूँ

    सत्ता के आस-पास नहीं

    लोगों को धकिया देने की आदत मुझमें नहीं रही

    तुम झूठ के शिखरपुरुष हो

    तुम धर्म के ध्वजवाहक हो

    तुम भक्तों के परम गुरु हो

    तुम्हें शिव के तांडव का इंतज़ार है

    हमें नहीं...

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनोज मोहन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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