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दौड़

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मीनाक्षी मिश्र

अन्य

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और अधिकमीनाक्षी मिश्र

    एक शारीरिक क्रिया होने के अतिरिक्त

    और भी कई पक्ष हैं 'दौड़' के

    जैसे राष्ट्रों के बीच की दौड़ वर्चस्व की दौड़ है

    और पूँजीपतियों के बीच रसूख की

    धावक प्रतिस्पर्धा जीतने के लिए दौड़ता है

    और श्रमिक आजीविका के लिए

    युवा स्वप्नों के पीछे दौड़ रहे हैं

    और मध्यमवर्गीय लोग, अपनी इच्छाओं के

    बहुत तेज़ दौड़ने वालों में शामिल हैं वे सब

    जिनका जीवन 'लाइफ इज़ रेस' मुहावरे से प्रेरित है

    निरुद्देश्य भी दौड़ रहे हैं कुछ लोग

    भीड़ का हिस्सा बने रहना चाहते हैं जो केवल

    कुछ के लिए तो

    दौड़ में केवल दृढ़ता से बने रहना भी काफ़ी है

    इस तरह दौड़ने में

    कुछ को जीत जाना तोष देता है

    तो कुछ हार कर भी तृप्त हैं...

    सुयश पा लेने की परवाह किए बग़ैर

    दौड़ा करता है मेरा मन हमेशा

    सघन स्मृति अरण्य में

    जैसे शताब्दियों से

    चोट खाकर गिरने के बावजूद

    खेल-खेल में दौड़ते रहें हैं बच्चे

    कहीं पहुँचने की चिंता किए बिना

    अपनी कल्पनाओं में

    दौड़ता रहा है एक सुघड़ मनुष्य

    दरअसल इस तरह वह परखना चाहता है

    अपनी आस्थाओं को

    बिंबों की तलाश में

    दौड़ता है एक कवि कमर कस कर

    यह जानते हुए भी कि बहुत कठिन है

    अपने समय के सत्य और संकटों को

    कविताओं में दर्ज करना

    और भले ही असमर्थों की श्रेणी में रखा गया हो उसे

    पर प्रकाश के वेग से भी अधिक तीव्र

    दौड़ता रहा है एक स्त्री का मन

    क्योंकि इस तरह उसके दौड़ने पर

    नहीं है कोई वैधानिक प्रतिबंध

    स्रोत :
    • रचनाकार : मीनाक्षी मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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