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डर

Dar

अनुवाद : देवेश पथ सारिया

जॉन गुज़लॉव्स्की

अन्य

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और अधिकजॉन गुज़लॉव्स्की

     

    (आउशवित्ज़ यातना शिविर के अनुभवों पर ताद्यूश बोरोव्स्की द्वारा लिखे गए संस्मरण पर आधारित)

    युद्ध के समय या तो काम था या थी मृत्यु
    काम इतना कि तुम टूट जाओ
    काम तुम्हारे पेट को बड़े-बड़े पत्थरों से भरकर
    तुम्हें नदी में डूबने के लिए छोड़ देता
    काम तुम्हारे पिछवाड़े में संगीन डालकर
    उसके नुकीले हिस्से को तुम्हारे भीतर घुमाता
    जब तक तुम मर न जाते

    यातना शिविरों में
    खाने का कुछ सामान था
    और साथी कामगार थे
    जिनमें कभी-कभी औरतें भी होती थीं
    लेकिन हमने कभी उनके साथ संभोग नहीं किया
    मैं बताता हूँ तुम्हें इसका कारण—
    डर

    मुझे याद है
    एक बार एक खेत में लाठियाँ लेकर
    लगभग हज़ार आदमी काम कर रहे थे
    तभी वहाँ एक ट्रक आया
    और हमारे देखते निर्वस्त्र औरतों को फेंक गया
    गार्ड उन्हें तंदूर में ज़िंदा जलाने को
    कोड़े मारते हुए ले जा रहे थे
    रोती, चीख़ती वे औरतें बाहें फैलाकर
    हमसे मदद की गुहार कर रही थीं—
    निर्वस्त्र माताएँ, बेटियाँ और बहनें
    लेकिन एक भी आदमी नहीं हिला अपनी जगह से

    एक भी नहीं

    डर तुम्हें अंधा कर देता है
    बाँध कर रख देता है वह तुम्हें
    वह फुसफुसाता है :
    चुपचाप खड़े रहो,
    यह सब जल्दी ही ख़त्म हो जाएगा
    चिंता की कोई बात नहीं है
    तुम उनकी मदद के लिए
    कुछ भी नहीं कर सकते थे

    तुम इस डर को अपनी क़ब्र तक ढोते हो
    और यक़ीन मानो
    कि यह युद्ध के बाद भी बना रहता है

    युद्ध के बाद भी कुछ नहीं बदला
    मैंने यातना शिविरों जैसे दुर्दांत
    और भी मंज़र देखे दुनिया में

    वहाँ यातना शिविर में
    काश, मेरे पास होती एक बंदूक़
    मैं उसे अपने माथे पर टिकाता
    और घोड़ा दबा देता

    मृत्यु उससे बेहतर होती
    जो मैं अब लिए फिर रहा हूँ—
    डर।

                          
    स्रोत :
    • रचनाकार : जॉन गुज़लॉव्स्की
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए अनुवादक द्वारा चयनित

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