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दंतकथा

dantkatha

अनुवाद : निशांत

जय गोस्वामी

अन्य

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जय गोस्वामी

दंतकथा

जय गोस्वामी

और अधिकजय गोस्वामी

    वापस गया सरल पथ का अतिक्रमण करके

    जितना आगे जाता हूँ लताओं के बाद लताएँ हैं

    टखने जकड़ लेती हैं—हटाते वक़्त देखता हूँ

    हीरे-मोती, जलाती जटिलता है।

    वापस गया सरल जल का अतिक्रमण करके

    जितना आगे जाता हूँ प्रवाह के आगे

    दूसरे प्रवाह नीचे की तरफ़, तल की तरफ़ खींचते हैं—

    हीरे-मोती, रास्ता बतला सकते हो?

    उतर आया मिट्टी की बाधा का अतिक्रमण करके

    कठोर भू-स्तर के नीचे राख...

    अंधी, राख अंधी। राख ठंडी। राख काली।

    चौंक कर देखता हूँ, राख को हटाकर जल रहे हैं

    हीरे-मोती, बहन के पास भाई।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पगली, तेरे साथ (पृष्ठ 99)
    • रचनाकार : जय गोस्वामी
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2019

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