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कोई तो लिखे

koi to likhe

स्मिता सिन्हा

अन्य

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स्मिता सिन्हा

कोई तो लिखे

स्मिता सिन्हा

और अधिकस्मिता सिन्हा

    अपने सबसे अधिक दर्द के साथ

    सबसे अधिक सयंमित दिखती है स्त्री

    सबसे अधिक आक्रामक दिनों में

    सबसे अधिक स्थिर

    फ़िक्रमंद वजहों के साथ

    सबसे बेफ़िक्र स्त्री देखी मैंने

    क्रूर लोगों के साथ सबसे अधिक कोमल

    विद्रूप समय में गढ़ती रहीं

    धरती की सबसे मनमोहक कृति

    चुभने वाले हर शब्द

    शहद से मीठे होकर निकले एक स्त्री से होकर

    कि इनकी आँखों में हमेशा रहा एक इंतज़ार

    कविताओं में हालाँकि वापसी होती रही लगातार

    मैं चाहती हूँ

    कोई तो लिखे उन स्त्रियों पर

    जिनका सिर है कि पत्थर हुआ जाता है

    हाथ है कि हथौड़ा

    दाईं कान के पीछे से तड़क कर उभरता है जो दर्द

    गर्दन से होकर धीरे-धीरे बहता

    रिसता रीढ़ की हड्डियों के अगल-बग़ल

    ये जो उनके माथे पर चटकती है एक नस

    कुछ लोग उसे माइग्रेन तो कुछ

    स्पॉन्डिलाइटिस कहते हैं

    वे कहती हैं

    बस नींद बाक़ी रह गई ज़रा-सी

    यह जो शीशे-सा बह रहा शिराओं में

    चाँद रात में सहला भर दूँगी उसे

    ख़ुद ही उतर जाएगा

    मैं चाहती हूँ

    कोई तो लिखे उन स्त्रियों पर

    जो अपनी ही प्रार्थनाओं में अक्सर

    ख़ुद को सबसे पीछे छिपा आती हैं!

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