स्‍त्री और आग

‍tri aur aag

नवीन रांगियाल

नवीन रांगियाल

स्‍त्री और आग

नवीन रांगियाल

कुओं से बाल्‍टियाँ खींचते-खींचते वे रस्‍सियों में तब्‍दील हो गईं

और कपड़ों का पानी निचोड़ते-निचोड़ते पानी के हो गए स्‍त्रियों के हाथ

मैं गर्म दुपहरों में उन्‍हें अपनी आँखों पर रख लेता था—

नीम की ठंडी पत्‍तियों की तरह

पानी में रहते हुए जब गलने लगे उनके हाथ

तो उन्‍हें चूल्‍हे जलाने का काम सौंप दिया गया

इसलिए नहीं कि उनकी आत्‍मा को गर्माहट मिलती रहे

इसलिए कि आग से स्त्रियों की घनिष्टता बनी रहे

और जब उन्हें फूँका जाए

तो वे आसानी से जल जाएँ

मैं जब भी आग देखता हूँ

तब मुझे स्‍त्रियों के हाथ याद जाते हैं—

लपट की तरह झिलमिलाते हुए

उनकी आँखों के नीचे इकट्ठा हो चुकी कालिख से पता चला

कितने सालों से चूल्‍हे जला रही हैं स्‍त्रियाँ

स्त्री दुनिया की भट्टी के लिए कोयला है

वह घर भर के लिए बदल गई दाल-चावल और रोटी के गर्म फुलकों में

वह मन के लिए बन गई हरा धनिया

देह के लिए बन गई नमक

और रातों के लिए उसने एकत्र कर लिया—

बहुत सारा सुख और आराम

लंबी यात्राओं में वह अचार की तरह साथ रही

जितनी रोटियाँ उसने बेलीं

उससे समझ आया कि यह दुनिया—

कितनी भूखी थी स्‍त्रियों की

जितने छौंक कढ़ाइयों में मारे स्त्रियों ने

उससे पता चला कितना नमक चाहिए था पुरुषों को

सूख चुके कुओं से पता चला

कितनी ठंडक है स्त्री की गर्म हथेलियों में

उसने दुनिया की भूख मिटाई और प्यास भी

उसने दुनिया को गर्म रखा और ठंडा भी किया

इसके ठीक उल्टा जो आग और पानी स्‍त्रियों को मिला अब तक

उसे फूल की तरह स्‍त्री ने उगाया अपने पेट में

और बेहद वात्सल्य से लौटा दिया दुनिया को!

स्रोत :
  • रचनाकार : नवीन रांगियाल
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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