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1943

1943

अनुवाद : अशोक पाण्डे

सादी यूसुफ़

अन्य

अन्य

और अधिकसादी यूसुफ़

     

    हम लड़के पड़ोस के नंगे पाँव
    हम लड़के पड़ोस के वस्त्रहीन
    हम लड़के जिनके पेट कीचड़ खाने के कारण फूल गए हैं
    हम लड़के जिनके दाँत खजूर और कद्दू के बीज खाने से गल चुके

    हम लड़के हसन-अल-बसरी1 के मक़बरे से अशार नदी के स्रोत तक
    क़तार में खड़े रहेंगे

    सुबह आपका स्वागत करने को खजूर के हरे पत्ते लहराते हुए

    हम नारे लगाएँगे : अमर रहें आप
    हम नारे लगाएँगे : जीवित रहें आप अनन्त तक
    और हम ख़ुशी-ख़ुशी स्कॉटिश मशकबीनों का संगीत सुनेंगे
    कभी-कभी हम किसी हिंदुस्तानी सिपाही की दाढ़ी पर हँसेगे
    लेकिन भय घुल जाएगा हमारी हँसी में और हम उनसे लड़ेंगे

    हम चिल्लाएँगे : अमर रहें आप
    हम चिल्लाएँगे : जीवित रहें आप अनन्त तक
    और हमारे हाथ तुम्हारे सम्मुख फैल जाएँगे : हमें रोटी दो
    हम भूखे हैं
    इस गाँव में अपनी पैदाइश के बाद ही मरते भूख से
    हमें माँस दो, च्यूइंग-गम दो, टिन दो और मछली हमें दो
    ताकि कोई भी माता अपने बच्चे को बाहर न निकाले
    ताकि हम सिर्फ़ कीचड़ न खाएँ और सोते न रहें

    हम लड़के पड़ोस के नंगे पाँव
    हम नहीं जानते थे तुम आए कहाँ से
    या किस लिए
    या हम क्यों चिल्लाए थे : अमर रहें

    और अब हम पूछते हैं :
    क्या तुम देर तक ठहरोगे?
    और क्या हम तुम्हारे सामने हाथ फैलाते रहेंगे?

     

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 386)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : सादी यूसुफ़
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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