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चिट्ठी

chitthi

राम प्रवेश रजक

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और अधिकराम प्रवेश रजक

    एक चिट्ठी लिखनी है

    छत पर आने वाले

    कबूतरों को

    जिन्हें पकड़ने के लिए

    हम दाना डाला करते थे

    एक चिट्ठी लिखनी है–चूरन वाले को

    जो आया करता था

    चूरन बेचने

    जिसके लिए मैं बचाकर

    रखता था आठ आने

    एक चिट्ठी लिखनी है

    उस मदारी को जो

    हर महीने आता था

    हमारे मोहल्ले में

    अर्सा हो गया उसे देखे

    एक चिट्ठी लिखनी है

    साइकिल वाले को जो

    शाम को साइकिल का

    खेल दिखाता और

    कहता चालू-चालू

    अब बंद क्यों हो गया

    एक चिट्ठी लिखनी है

    बादलों को

    जिसका बहाना बनाकर

    हम स्कूल जाने की

    ज़िद किया करते थे

    एक चिट्ठी लिखनी है

    खेतों के मेड़ों को

    जिस पर हम दौड़ा करते थे

    वो खेतों में मिल क्यों गए

    एक चिट्ठी लिखनी है

    पेडों को

    जिनकी टहनियों पर

    हम खेला करते थे

    वह कट क्यों गए

    एक चिट्ठी लिखनी है

    नदियों को, तालाबों को

    जिसमें हम दोस्तों के साथ

    सीखते थे तैरना और

    पकड़ते थे मछलियाँ

    वह सूख क्यों गई

    एक चिट्ठी लिखनी है

    बचपन को

    वह लौटकर कब आएगा

    कहाँ खो गया।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राम प्रवेश रजक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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