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चेतावनी होता हुआ

chetawni hota hua

मलय

अन्य

अन्य

मलय

चेतावनी होता हुआ

मलय

और अधिकमलय

    बाज़ार में जाता हूँ

    तो क्या चीज़ों का ग़ुलाम होने से

    बच पाता हूँ?

    घर में आता हूँ

    तो रुपया क्या, दस्सी हो जाता हूँ

    मित्रों के बीच

    जिस हा-हा से ढकेला जाता हूँ

    खिसकते-खिसकते

    एक कोने का शिकार हो जाता हूँ

    मुहल्ले में अजनबी और अनाकार होता हूँ

    दिन दूभर और रातें

    एक डिबिया की तरह बंद

    जिनको खोलकर

    काटता रहता हूँ, छल-छंद

    इस तरह अँधेरे की स्याही घोलकर

    उजली आँखों की किरणों से

    बाहर तक

    भाषा की शांत घाटियों में

    हर वक़्त गूँजता रहता हूँ

    इस तरह

    चेतावनी होता हुआ

    चट्टानी दहशत को तोड़ती

    दरार में उगता अंकुर हो जाता हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मलय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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