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चौराहा

chauraha

अपूर्वा श्रीवास्तव

अन्य

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और अधिकअपूर्वा श्रीवास्तव

    स्त्री-मन पर लिखी कविताएँ

    आहत करती हैं कविताओं को

    कविता चौराहा है

    जहाँ स्त्रियाँ नहीं करती हैं इंतिज़ार

    लाल सिग्नल के हरे होने का

    वे घूमती हैं बेख़ौफ़

    स्तनों में तपिश लेकर

    भरती हैं इच्छाएँ

    करती हैं प्रेम

    चूमती हैं अपने पसंद के होंठ

    चौराहे के बीचो-बीच

    स्त्री बची रहती है

    सिवाए स्त्री के

    कुछ और होने से

    भेदती हुई एकाँत

    करती हुई अट्टहास

    कविता वह जगह है

    जहाँ स्त्री की देह

    विलास का नहीं

    वेदना का विषय होती है

    स्त्री के थोड़ा अधिक स्त्री होने के

    संदर्भ में लिखी कविताएँ

    अक्सर अशिष्ट और असभ्य

    कही जाती रही हैं

    बावजूद इसके

    भला कौन कर सकता है पृथक

    आत्मा को उसकी अनुभूति से

    कविता को स्त्री से।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अपूर्वा श्रीवास्तव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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