बटन

button

हेमंत कुकरेती

वह दाएँ तरफ़ टँके रहते हैं

क़मीज़ पहनने पर हो जाते हैं बाएँ तरफ़

इस तरफ़ दिल होता है

दुनिया भर में कुछ ही होते हैं इस तरफ़ चलने वाले लोग

अलग होते हैं औरों से

कुछ लोगों की निगाहें बटनों के बीच में देखती हैं

बड़े तेज़ होते हैं वे जो बीच में चलने की सलाह देते हैं

बटन जिन छेदों पर टँके रहते हैं क़मीज़ के

वह आँखें होती हैं कपड़े की

उस आदमी पर भी रखती हैं नज़र

जो उन्हें पहने रहता है

बड़े काम करते हैं मामूली लगते बटन

कपड़ों को बाँधकर रखते हैं

या हमें टूटकर बिखरने से रोकते हैं

कुछ दिखाने भर के बटन कॉलर को अकड़ाकर रखते हैं

गर्दन ज़्यादा टेढ़ी करते हैं जेब के ऊपर टँगे बटन

उन्होंने आदमी की शर्म को सँभाला हुआ है

ऐसी काट के कपड़े भी हैं चलन में जिन पर

बटन की ज़रूरत ही नहीं है

हो सकता है इसी तर्ज़ पर बनने लगें ऐसे आदमी

कपड़ों की ज़रूरत ही नहीं रहे जिन्हें

हाथी दाँत से बने या महँगी धातु के चमकदार बटन

गिरकर कभी नहीं मिलते

खो जाते हैं जाने किस अँधेरे में

बने-बनाए कपड़ों के नीचे उलटी तरफ़ टाँक देते हैं

तीन-चार बटन

जाने कैसे बचा हुआ है जोड़ने का यह मनुष्य अनुभव

मशीनों को सिर्फ़ काटना सिखाया है हमने

पुरानी फ़िल्मों में स्त्री तोड़ती है दाँतों से धागा

नज़दीकी जताने का यह तरीक़ा ठेठ रीतिवादी है

नायक की उँगली में सुई चुभने के बाद होती है प्रेम की

बाक़ायदा शुरूआत

कई महान अभिनेताओं की अमिट छवियाँ

इसी रसायन से बनी हैं

बच्चे इकट्ठे करते रहते हैं बटन : हर बटन उनका है

कई बार लगता है

उनके लिए पृथ्वी एक बटन है छिटककर भटकती हुई

जिसे वे अपनी क़मीज़ पर टाँकना चाहते हैं

कथा कहने वाले कवि उदय प्रकाश के बचपन की क़मीज़ में

चाँद ही टँक गया था बटन बनकर

रंग-बिरंगे बटन अच्छे लगते हैं बच्चों के कपड़ों पर

बड़ों के कपड़ों पर अटपटे

हालाँकि कई बार पहनने की इच्छा होती है

जिसे दूसरों के कारण दबाना पड़ता है

बढ़ती उम्र आदमी को मसख़रा बना देती है

कम हो जाती है उसकी हँसी

संजीदा दिखने के लिए ज़रूरी हो जाते हैं

उदास भरे रंग

कपड़ों की आड़ी-तिरछी सिलाई जीवन के टेढ़े-मेढ़े रास्ते हैं

बेमेल ज़िंदगी से लड़ते हम बाहर ढूँढ़ते हैं

कपड़ों के रंग से मेल खाते बटन

हमारी छीजी हुई काया के चीथड़े की

प्राचीन दुख की तरह ज़रा-सी जगह घेरता है बटन

मुक्त कर देता है इतने सारे को

स्रोत :
  • पुस्तक : चाँद पर नाव (पृष्ठ 122)
  • रचनाकार : हेमंत कुकरेती
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
  • संस्करण : 2003

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