औरत एक देह है?

aurat ek deh hai?

प्रीति चौधरी

प्रीति चौधरी

औरत एक देह है?

प्रीति चौधरी

मेनोपॉज़ की दहलीज़ पर खड़ी

उस प्रौढ़ औरत और

जीवन के चौथे दशक में प्रवेश करती युवा स्त्री

दोनों ने एक साथ

एक समय पर

एक ही बात सुनी

दोनों ने सुना

नहीं रहे उनके अमृत कलश अब उन्नत

दोनों ही स्त्रियों ने चहा वे दौड़ पड़ें

पृथ्वी का चक्कर काट मिल आएँ

दुनिया की उन सारी स्त्रियों से

जिनके वक्ष दल चुके थे

या ढलान की कगार पे थे

वे सबसे पूछना चाहती थीं

क्या वक्षों का अवसान होता है इतना दुखद

कि स्त्रियाँ खो बैठें अपना प्रेम?

उन स्त्रियों ने चाहा

तोड़ डालें वे उन साज़िशों को जो

छह माह तक दुग्धपान कराने की संस्तुति करते हैं

फाड़ डाले उन अख़बारों को जो

मातृदुग्ध की प्रतिरोधी-क्षमता बखानते हैं

वक्ष ढलने की वजह चाहे उम्र हो

या स्तनपान कराना

ढले वक्षों वाली स्त्रियाँ शोक में थीं

इस शोकगीत में शामिल स्त्रियाँ

सिर्फ़ देह थीं

और देह में उन्नत वक्ष नहीं थे

कई स्त्रियों ने खोया अपने पुरुषों को

क्योंकि वे ढल चुकी थीं

शहर में ही ढेर सारे पुरुष थे

शहर में ही सारी कुँवारी लड़कियाँ थीं

ये प्रौढ़ औरतें हार रही थीं

कुँवारी लड़कियों से

शहर में अख़बार था

अख़बार में विज्ञापन था

कई तरह की क्रीमों के साथ

सिलिकॉन इम्पलांट के विकल्प थे

स्त्रियाँ किसी भी क़ीमत पर

प्रेम नहीं खोना चाहतीं

स्त्रियों को पूछना पड़ेगा

धूमिल और शमशेर से कि

वे सिर्फ़ देह हैं बक़ौल धूमिल या फिर

उठाओ निज वक्ष और कस और उभर

कहने वाले शमशेर की प्रेमिका

स्त्रियों पूछो अनामिका, कात्यायनी और सविता सिंह से

वक्षों से इतर प्रेमी किस नगर में बसते है?

स्रोत :
  • रचनाकार : प्रीति चौधरी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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