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1901 के दिन

1901 ke din

सी. पी. कवाफ़ी

अन्य

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सी. पी. कवाफ़ी

1901 के दिन

सी. पी. कवाफ़ी

और अधिकसी. पी. कवाफ़ी

    यही तो उसमें ख़ूबी थी,

    कि घोर व्यभिचार के बीच,

    अपने आयु और आचरण की सारी

    स्वाभाविक विलासिता के बावजूद,

    कामुकता में पूर्णतः अभ्यस्त होते हुए भी,

    वह कभी-कभी—यद्यपि बहुत ही कम—

    ऐसा आभास दे जाता था

    मानो उसका शरीर लगभग अछूता रहा हो।

    उन्तीस वर्षों का उसका जवान सौंदर्य

    जाने कितनी बार

    ऐयाशी के लिए इस्तेमाल हुआ होगा,

    लेकिन फिर भी, कमाल है, ऐसा लगता कभी-कभी

    जैसे कोई नया माशूक़ पहली बार

    अपनी स्वच्छ देह भोग के लिए दे रहा हो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 75)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : सी. पी. कवाफ़ी
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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