Font by Mehr Nastaliq Web

जन्म-दिन मृत्यु-दिन

janm din mirtyu din

अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र

सच्चिदानंद राउतराय

अन्य

अन्य

सच्चिदानंद राउतराय

जन्म-दिन मृत्यु-दिन

सच्चिदानंद राउतराय

और अधिकसच्चिदानंद राउतराय

    जिस दिन मैंने जन्म लिया

    उस दिन सभी बच्चों ने

    आकाश की ओर हाथ बढ़ाया, कहा—

    वह हमारी तरह होगा

    दुर्दांत जानवरों को पत्थर मारेगा

    और खेलेगा उनकी पूँछ पकड़कर

    साधु-संन्यासियों को देखकर

    डरकर भाग जाएगा, यह सोच

    कि कहीं वे पकड़ लें

    जिस दिन मेरी मृत्यु होगी

    उस दिन प्रबल तूफ़ान से

    ठप्प पड़ गए होंगे शहर के सारे यान-वाहन,

    बंद होंगे सारे अख़बार,

    कल-कारख़ाने हड़ताल से

    हड़ताली श्रमिक अपनी कठोर मुट्ठी में

    दबोचे होगा मालिक का गला

    चीत्कार कर रहे होंगे सभी

    चाहिए बोनस! चाहिए ओवर-टाइम!

    कोई ख़बर नहीं निकलेगी

    मेरी मृत्यु की

    कोई जुलूस नहीं

    शापग्रस्त नर्सें केवल आँसू बहा रही होंगी

    मेरे शव पर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बसंत के एकांत ज़िले में (पृष्ठ 117)
    • रचनाकार : सच्चिदानंद राउतराय
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
    • संस्करण : 1990

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए