अगर मिली ज़िंदगी
agar mili zindagi
अगर मिली ज़िंदगी
तो तुम्हें प्यार करूँगा
उतार दूँगा तुम्हारे सदियों के उधार
चुरा ले आऊँगा
तुम्हारे लिए
इंद्र के बग़ीचे से पारिजात
अभी थोड़ा-सा धीरज धरो
नगर में आए हैं तथागत
कर आऊँ उनका दर्शन
इस बार नहीं फँसूँगा उनके मुखमंडल की आभा में
तुषित1बौद्ध धर्म के अनुसार स्वर्ग। स्वर्ग भी जाना नहीं है मुझे
नहीं पगलाऊँगा मुक्ति के पीछे
अभी शामिल होना है
निःशब्द जाते जुलूसों में मुझे
हारे हुए लोगों के
लाठीचार्ज से लौटे सूजी पीठ लिए
अपनी मछलियाँ अपने पान-फूल
अपनी नदी अपना पेड़ बचाने के विरोध में
शामिल होना है मुझे
अपने छोटे भाइयों के शवदाह में
वे ख़ूबसूरत और बहादुर लोग
हमेशा की तरह इस बार भी मारे गए हैं
एनकाउंटर में—
चोर-उचक्के-डाकू कहकर
सिर पर आकांक्षाओं की गठरी लादे
दमकती आत्माओं वाली
स्त्रियों के गोल के संग-संग जाना है मुझे
जनतंत्र की रैली में
और शायद लौट आऊँ घर तक सकुशल
सरपट दौड़ाए जा रहे
शाही घोड़ों और पीतल जड़ी लाठियों से बचकर
बचना इसलिए है कि तुम्हें करना है प्यार
तुम्हारे लिए बचाए रखनी है पारिजात की ख़ुशबू
थोड़ी-सी बचाए रखनी है आग
बार-बार मार खाकर लड़ते जाने की ज़िद
बचाए रखनी है
कि ऐसे ही छोटी छोटी लड़ाइयों में हारे हुए लोग
बदल देते हैं लड़ाई के तौर-तरीक़े
बदल देते हैं सत्ता का व्याकरण
कि तब तक तुम बचाकर रखना धैर्य
मैं बचाए रखूँगा पारिजात की ख़ुशबू।
- रचनाकार : रमाशंकर सिंह
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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