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बिरले ही

birle hi

अनुवाद : पीयूष दईया

सी. पी. कवाफ़ी

अन्य

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सी. पी. कवाफ़ी

बिरले ही

सी. पी. कवाफ़ी

और अधिकसी. पी. कवाफ़ी

    वह एक बूढ़ा आदमी है। चकनाचूर और झुका,

    कामासक्ति और समय का मारा,

    वह चलता है धीरे-धीरे साथ सँकरी गली के।

    लेकिन जब वह जाता है भीतर अपने घर छिपाने को

    छीछड़े अपने बुढ़ापे के, पलटता है उसका मन

    यौवन के उस हिस्से की ओर जो है अब भी उसका आपा।

    उसके कवित्त हैं अब गाए जाते युवा लोगों द्वारा।

    उसके स्वप्नाकार गुज़रते हैं उनकी जीवंत आँखों के सामने।

    उनके निरोगी ऐंद्रिय मन,

    उनके शरीर तने हुए सुडौल

    उसकी सौंदर्याभिव्यक्ति से जगे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 86)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : सी. पी. कवाफ़ी
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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