Font by Mehr Nastaliq Web

भाषा

bhasha

मलयज

अन्य

अन्य

मलयज

भाषा

मलयज

और अधिकमलयज

    एक पेड़ जो सबकी आरज़ुएँ पूरी कर देता था

    शहर के लोग रोज़ रोज़ उस पर

    मन्नतों के रंगीन चिथड़े बाँध आया करते थे

    इतिहास से ऊबकर

    एक जंगल में डूबकर

    मैं पाँव पाँव चलकर गया

    वहाँ उस पेड़ पर

    और उतार लाया सब चिथड़े

    उनसे नई आकृतियों को रचने

    इसी बीच जाने क्या हुआ

    शहर के लोग एक साथ बीमार पड़े मर गए...

    फलने लगी हैं अब उनकी मन्नतें

    मेरी रची उन आकृतियों से

    स्रोत :
    • पुस्तक : ज़ख़्म पर धूल (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : मलयज
    • प्रकाशन : रचना प्रकाशन
    • संस्करण : 1971

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए