बेहतर सपनों के लिए सपना

behtar sapnon ke liye sapna

कँवलजीत भुल्लर

कँवलजीत भुल्लर

बेहतर सपनों के लिए सपना

कँवलजीत भुल्लर

बहुत कमी है आजकल अच्छे सपनों की

आँखों में कितनी ही हया बैठे

सपने प्रायः पीड़ायुक्त होते हैं...!

नज़रों के बाज़ार में जब कुछ भी अच्छा नहीं बिकता

तो सपनों की रचना का सहयात्री होना

आपत्तिजनक नहीं है...।

यों भी सपने तो

सोच का अनुवाद ही हैं

देखे जा चुके का धुँधला 'चित्रांकन'

तभी तो! इन दिनों सुंदर सपनों की

किल्लत चल रही है...!!

इन दिनों सपने

मोह-मुक्त हो चुके हैं...

सभी कुछ देखा जाता

जीपों, कारों में जलता हुआ

खेल बिगाड़ देते हैं

मनमानी करते कुछ खुदग़र्ज़ लोग

कभी सलमान रश्दी जैसे लोगों के

जीने के अधिकार सुरक्षित कर लिए हैं।

जुनूनियों ने अपने पास...!!

तभी तो, इन दिनों भले सपनों की कमी है...!!

सपने चाहिए सूरज के समान

अँधेरी रातों में स्मरण आता चाँदनी रातों से

मुँडेर पर बैठे कौए को सुन

आने वाले मेहमान के मुग़ालते के समान

ओठों पर उभरी मुस्कान-संबंधी सोच

जैसे ऐसे ही भले सपनों की इधर किल्लत है

सपने तो तहक़ीक़ात होते हैं विवशताओं की

गमले में उगे किसी वटवृक्ष की तल्ख़ी के समान

किसी करोड़पति की अस्पताल में हुई मौत की हैरानी जैसे

या फिर एक वक़्त रोटी को मोहताज किसी ग़रीब के

हाथ में पकड़े तंदूरी मुर्ग़े की सच्चाई के समान...!!!

कुछ ऐसे बेहतर सपनों की दरकार इन दिनों!!

स्वप्न ऐसे हों जिनमें

किसी के मिलने पर उदासी का चित्रण हो

व्यर्थ में प्रतीक्षारत पलों का संकेत हो

हाथ में पकड़े फूलों को मसल फेंकने-सी खीझ हो...!!

और उसी क्षण किसी के आने की आहट पाकर

मसले फूलों की हालत देखकर

उठी तड़प की चिंगारी

जाने क्यों,

इन दिनों बेहतर सपनों की किल्लत है...??

अब तो बस

बेहतर सपनों के लिए ही सपना

आँखों के लिए जायज़ है, मुफ़ीद भी...!!

स्रोत :
  • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 634)
  • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
  • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2014
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY