बीच की जगहें

beech ki jaghen

गार्गी मिश्र

गार्गी मिश्र

बीच की जगहें

गार्गी मिश्र

 

हर बहने वाली चीज़ क़ासिद है—आँसू, ख़ून और नदी।

बीच की जगहें नहीं होतीं तो दो किनारे कैसे होते? कैसे इस छोर से उस छोर तक जाती नाव, उत्सव के बाद कैसे डुबोई जातीं कुमारटोली के मूर्तिकारों की गूँगी अँगुलियों से गढ़ीं देवी की मूर्तियाँ? कैसे मई की कोई दुपहरी अपनी पीली ओढ़नी दाँत में दबाए चुपचाप सुनती राग मुल्तानी?

कैसे कोई उचक कर देखता अपनी दाईं तरफ़ बैठे एक अजनबी को, बहुत देर तक सोचता अपने ख़ालीपन के उजेले में कि क्या अगले से पूछे, “समय क्या हुआ है?” और फिर चुप हो जाता अपना नाम-गाँव पूछे जाने तक।

नहीं होतीं बीच की जगहें तो पृथ्वी पर जीवन कैसे संभव होता? कि कोई दुःख कितना भी बड़ा क्यूँ न हो धरती नहीं फटती कि आदमी उसमें धँस जाए और कोई सुख इतना स्थायी नहीं कि मन छू ले आकाश लिख दे उसके कंधों पर अपने हिस्से का उल्लास और साझा की पराकाष्ठा हो।

वे रिश्ते कहाँ जाते जो उलाहनाओं और असंभव परिस्थितियों की मिट्टी में फूल से खिले रहते हैं। मौसमों के फेरबदल से अपरिचित जिन्हें जीने से फ़ुरसत नहीं। उन आशाओं का क्या होता जिनके हाथ नहीं, जिनके सिर्फ़ एक जोड़ी सही-सलामत पाँव हैं, जो बिना कुछ सोचे-समझे आगे बढ़ते जा रहे हैं।

नहीं होतीं ये बीच की जगहें तो संभव है कि विलुप्त हो चुकी होतीं कविताएँ उन कविताओं को पढ़ने के बाद पाठक का मौन और कवि का निर्मोह। चित्रकारों को नहीं मिलते वे रंग जो ईश्वर जैसी चीज़ में मनुष्य की आस्था पैदा करते हैं। रेलगाड़ी से तय किए जाने वाले सफ़र शोक से भरे होते और कोई रोता हुआ बच्चा नहीं उलझता चाभी से चलने वाले खिलौने के शोर में।

इन जगहों को दूर से देखो तो मालूम होता है कि दो पीढ़ियों के बीच घर का एक पुराना मुलाज़िम खड़ा है जो किसी भी बात पर न ज़्यादा मुस्कुराता है, न ही ज़्यादा उदास होता है। इस मुलाज़िम को ही पता हैं, मेरे और तुम्हारे सारे राज़। ख़ुदा हमारे राज़दार को हमारी उम्र से भी लंबी उम्र बख़्शे।

स्रोत :
  • रचनाकार : गार्गी मिश्र
  • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY