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बेचैनी

bechaini

अनुवाद : नीरू शर्मा

अश्विनी मगोत्रा

अन्य

अन्य

बहुत बेचैनी है

अजब-सी हलचल है।

मन की बस्ती से

निकला है कारवाँ कोई

अनगिनत चाहतों को

संग लिए

पर

राह सफ़र की

मेरी ना-समझ आशाओं का

नादान शिशु

संग कारवाँ के

चलने लगा है चाव से

पर

इस कारवाँ को

रोक लिया है

नाकामियों के बड़ेरों ने

तभी तो

चारों ओर

छाई है नीरवता यारो

बहुत बेचैनी है

अजब-सी हलचल है

तभी तो प्रयत्न और

धैर्य के बीच की दूरी

किसी विश्वास से

अनजान और क़रीबी रिश्तों के

वास्ते देकर

पहुँची है पास

पर यह भी सहा गया

नाकामियों के बड़ेरों से

तभी तो

तान दी इक महीन-सी

चादर शंका की

प्रयत्न और धैर्य के बीच।

नादान शिशु

मेरी आशाओं का

उदास गुमसुम

देखता है खड़ा-खड़ा

कारवाँ की रौनकें

बहुत बेचैनी है।

अजब-सी हलचल है।

स्रोत :
  • पुस्तक : आधुनिक डोगरी कविता चयनिका (पृष्ठ 182)
  • संपादक : ओम गोस्वामी
  • रचनाकार : अश्विनी मगोत्रा
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2006

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