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बाज़ार में

bazar mein

रविंद्र स्वप्निल प्रजापति

अन्य

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और अधिकरविंद्र स्वप्निल प्रजापति

    इस बाज़ार में तुम एक लड़की हो और मैं एक लड़का हूँ

    हमारी उम्र ग्लोसाइन बोर्ड की रोशनी में छुपा दी गई

    कांच में चमकते हुए हम चिर युवा दिख रहे हैं

    हम बाज़ार का सबसे सुलभ औज़ार हैं

    तुम बिस्तर पर लेट कर विज्ञापन कर रही हो

    और मैं बता रहा हूँ जंगल में रात कितनी सुंदर है

    बिस्तर के विज्ञापन में तुम्हारा शरीर लयात्मक हो उठा है

    सामानों की एक लंबी रेंज शरीर की दम पर

    लहरों पर तैरते कचरे की तरह गतिशील बनी है

    बॉथटब साबुन मॉड्यूलर किचिन लेगिंग्स

    इनरवियर फ्लाइट और टूरिज़्म के विज्ञापन

    सभी में तुमको एक टीनेजर बना दिया गया है

    दूसरी तरफ़ जींस के विज्ञापन में मेरा पेट सपाट है

    मस्चराइज कॉटन के कपड़ों में पसीना सूख गया

    विज्ञापनों में हम प्यार करते हुए कितने युवा हो गए

    हमारा प्यार सुगंधित फूल जैसा है

    जिसे तुमने स्तनों की सीवन पर रख लिया है

    रोशनी की दुनिया में हम

    अपनी ही ख़ूबसूरती की परिभाषा में बदल गए

    रात की बेहोश दुनिया में चमकती नियोन लाइटें

    हमारे होने से ज़िंदगी का हिस्सा लग रही हैं

    मैं अपने सीने से गुलाब को गिरने से बचा रहा हूँ

    तुम लेट गई हो वन लाइनर की तरह उसी बिस्तर पर

    जिसे विज्ञापन में दिखा रही थीं

    हम अपने समय के वन लाइनर हैं

    होर्डिंग और विज्ञापनों पर पंचलाइन की तरह लिखा जाता है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : रविंद्र स्वप्निल प्रजापति
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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