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बारहमासा

barahmasa

आकृति विज्ञा 'अर्पण’

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और अधिकआकृति विज्ञा 'अर्पण’

    बारहमासा 

    मास असाढ़ में गइल कवन देसे

    सपना पलल अइब 

    सावन निरमोहिया...

    आके गईल सावन 

    मेहदी झुराइल, लाली नाही आईल हाथे निरमोहिया

    कृष्ण जनमले हो हर घर अंगना

    भदही बदरिया चिढ़ावे निरमोहिया

    अंगना पितर डोलें जोहत में पूतवा हो

    पितर जुड़ इले ना कुआरे निरमोहिया 

    दीयरी बिना मोर बीतलो में कातिक 

    पतियो छठि में पठवल निरमोहिया 

    अगहन के बरखा में खेतवा जुड़ाइल

    बिरहा के बजरा धरवल निरमोहिया

    पूस के जाड़ा में कांपत बदनिया 

    विरहा के चाना चबवइल निरमोहिया

    माघ के खिचड़ी तजल तोरी धनिया हो

    फागुन बेरंग गइल निरमोहिया 

    इत के कोयली भईली सवतिनिया 

    अँसुअन के सोरिया धरवल निरमोहिया

    जग बइसाख में गंगा जी नहाला 

    दुखवा के गंगा नहवइल निरमोहिया

    जेठ दुपहरिया अस भईल जिनगिया 

    असाढ़ में सावन ले गईल निरमोहिया

    रहिया ताकत बितल चारो रे पहरिया 

    कवने सुगनिया घरे गइल निरमोहिया

    जिनगी अहिल्या अस पाथर परल बा 

    राम अस असरा धरइत निरमोहिया

    नाहीं कहबे अब आव छोड़ि छाड़ सब गोइयां 

    आवेके रहत काहें  जइत निरमोहिया 

    जीई  लेबें खाई लेबें जिनगी बिताई लेबें 

    एक दिन हरि घर जाबें निरमोहिया 

    रहीह कुसल जवने देसवा में होईह हो

    हमहूं के होस जनि धरीह निरमोहिया

    सांच पीरितिया के दिनवा सुहावन 

    विरहा के जहर बिखि निरमोहिया

    हरि के सरनिया नेहिया लगावत 

    बिति जाला सबकर दिन निरमोहिया

    स्रोत :
    • रचनाकार : आकृति विज्ञा 'अर्पण’
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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