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अपनी औकात

apni aukat

अनुवाद : इबोहल सिंह काड़्जम

एलांगबम नीलकांत सिंह

अन्य

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और अधिकएलांगबम नीलकांत सिंह

    ख़राब है यह ज़माना

    चुप रहो। मत बोलो ज़ोर से

    अगर सुन ली गई ऊँची आवाज़

    तो बन जाएगा उपहास।

    मत देखो गौर से सामने

    अपनों के चेहरे पर

    देखोगे तो पैदा होगी अवश्य

    सहानुभूति।

    छोड़ दो रास्ता, सरकार की इस सड़क पर

    जाने दो बैण्ड पार्टी को

    अधिकारियों के प्रोसेशन को

    हमारे-तुम्हारे लिए तो किनारे हैं सड़क के

    चलना चाहिए सिर झुका कर।

    सीखो हँसना भी

    अनिवार्य हो हँसना तो

    दिखाना वर्जित है रुआँसी सूरत

    सरक जाओ पीछे के दरवाज़े की तरफ़

    पोंछ लो एक-दो बूँदें आँसू की चुपचाप आँखों के कोर से।

    और सुन लो आकाशवाणी इम्फाल से

    रात के साढ़े सात बजे

    शायद हो हमारा-तुम्हारा समाचार भी।

    शायद हो समाचार उतना नया

    होंगे आशा के, निराशा के

    चाहत और अनचाहत के कई समाचार

    परंतु हो भी सकता है कभी

    कोई एक समाचार

    हमारे तुम्हारे लिए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : तीर्थ-यात्रा (पृष्ठ 73)
    • रचनाकार : एलाड़्बम नीलकांत सिंह
    • प्रकाशन : हिंदी बुक सेंटर
    • संस्करण : 1996

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