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अपरदन की विज्ञप्ति

apardan ki vigyapti

सत्यव्रत रजक

अन्य

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सत्यव्रत रजक

अपरदन की विज्ञप्ति

सत्यव्रत रजक

और अधिकसत्यव्रत रजक

    एक दफ़न किया गीत और नैहर की कोयलें

    पामाल होती तिलचट्टे की आँखें

    उतर आई भूख के रिरियाए माथों की इच्छाओं के आंदोलन अनाधिकृत नहीं हैं

    यूँ तो माज़रत नहीं हूँ

    लेकिन कड़वा और दीर्घ होना अनुलोम है

    इसलिए भी याद रखने को कुछ लक्ष्य गिन लेता हूँ

    जैसे मिठाई की दुकान और इज़रायल का युद्ध

    जैसे अमेरिका का चुनाव और जन्मदिन की तारीख़

    मृत्यु दर और ग़रीबी रेखा की रिपोर्टें

    प्रलाप और पर्वोत्सव

    अपराध और नीति श्लोक।

    सोते हुए का यह वाक्य

    कि सरकार और पूँजी से मँहगी नींद है

    के बाद भी हींग और इत्र विषाक्त नहीं हैं

    अनागरिक होना अपरदन नहीं है

    नागरिक होना शुभ सूचना नहीं है

    ख़ुद को महसूसना उतना ही उत्तेजक है

    जितना चहचहाहट के बाद चिड़िया का मरना।

    घड़ी में बज रहा है हमारा सबसे कीमती अभाव

    आँखे झूल रही हैं ढ़ीली खाल पर

    चायपत्ती के बढ़ते रेट

    मैली होती कुर्सी

    दोनों ने कभी सवाल नहीं किया।

    एक हमशक्ल की खोज के सिवा

    हम ऐसा क्या जुटा लेंगे

    जो तुम्हारे लिए इत्र हो और मेरे लिए हींग की जगह काम सके।

    हम कहकहों से होकर अपने दर्द और देह को

    अगली सरकार, शुभेच्छाओं और पहाड़ों के नाम करते हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सत्यव्रत रजक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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