अंतिम खिलाड़ी

antim khilaDi

हेमंत कुकरेती

हेमंत कुकरेती

अंतिम खिलाड़ी

हेमंत कुकरेती

अंतिम खिलाड़ी टीम को संपूर्ण करता है

मुझसे पहले जो आए वे बेहतर रहे होंगे

मैं भी अपनी जगह ज़रूरी हूँ

यह जगह का प्रश्न नहीं

उस जगह किए गए काम का है

अंत में थोड़ा-सा भी बेहतर कोई कर दे

तो सबको याद रह जाता है

लेकिन लोग ग़लत तरीक़े से याद रखते हैं

जल्दी भुला देते हैं अच्छे किए हुए को

मामूली ग़लती को भी भूलने नहीं देते

मुझे याद है मैंने नहीं चुनी अपनी यह जगह

इसी में अच्छा लगता रहा मुझे कि

हम सबसे बेहतर और भी हैं कई

जिनकी नहीं होती कोई भी जगह

जगह जो मैंने हासिल की

उसमें इतना कर सकूँ कि

लगे अपनी जगह पर मैं ग़लत नहीं हूँ

खेलने वाले भी हम हैं

खिलाने वाले भी

पर यह सोच मुझे अधूरा नहीं रहने देती

कि किसी भी जगह खेलो

अच्छा खेलो

अच्छा खेलकर सोचो कि

कल इससे भी अच्छा खेलना है

नहीं तो हम सबसे बड़ा है खेल

और हम कहाँ के खिलाड़ी हैं

उसके बिना

स्रोत :
  • पुस्तक : नया बस्ता (पृष्ठ 116)
  • रचनाकार : हेमंत कुकरेती
  • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
  • संस्करण : 2002

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