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अंतिम बात

antim baat

अनुवाद : इबोहल सिंह काड़्जम

युम्लेम्बम इबोमचा सिंह

अन्य

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और अधिकयुम्लेम्बम इबोमचा सिंह

    सो जाएँ, मित्र सो जाएँ

    आज तो हम

    आराम से सो जाएँ;

    पूछो मत फिर

    ‘ज़िंदगी है ही क्या?’

    चलते आए हैं हम जीने के इस रास्ते पर

    जब से सूर्य जागा तब से

    आज तो नहीं रही आत्मा की शक्ति

    इन पैरों को आगे बढ़ाने की!

    सो जाएँ मित्र, स्वप्न देखें

    ज़िंदगी तो स्वप्न है ही

    नहीं युद्ध, नहीं संसार

    असीमित सौ-सौ मंज़िली इमारत पर

    चढ़ गया था

    या

    ढहती नींव पर नया शिलान्यास किया है

    अंतहीन

    इन प्रश्नों को छिपाकर रखो

    “क्या लाभ जीने से

    क्या लाभ मरने से”

    यह उपदेश सच्चा है

    “शराब पीओ

    गाँजा पीओ

    अफ़ीम खाओ”

    क्या लाभ

    दुख से या सुख से

    सुख है ही कहाँ

    सुख है ही क्या

    एक लट्टू

    चक्कर काटकर घूमता है

    मत पूछो—

    “इसका लाभ क्या है

    इसका अलाभ क्या है”

    लाभ और अलाभ में

    क्या भेद है

    अरे

    शराब पीओ

    गाँजा पीओ

    अफ़ीम खाओ

    भूल जाओ सारे संसार को

    स्वप्न देखो, आराम से सो जाओ

    मत पूछो—

    “क्यों पैदा हुए हम

    क्यों जिएँगे हम”

    जीना

    मरना

    क्या भेद है इनमें

    अरे

    शराब पीओ

    गाँजा पीओ

    अफ़ीम खाओ

    भूल जाओ सारे संसार को

    आराम से सो जाओ, स्वप्न देखो

    स्वप्न

    जागरण

    क्या भेद है इनमें

    अरे

    शराब पीओ

    गाँजा पीओ

    अफ़ीम खाओ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक मणिपुरी कविताएँ (पृष्ठ 44)
    • संपादक : देवराज
    • रचनाकार : युम्लेम्बम इबोमचा सिंह
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 1989

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