अनामंत्रित

anamantrit

स्मिता सिन्हा

स्मिता सिन्हा

अनामंत्रित

स्मिता सिन्हा

सुख के सघन रेशों से छनकर

बूँद-बूँद इकट्ठा हुई स्मृतियों को

धीमे से बहा आना

उस तरलता में

जो हमारा दुःख है

उतना मुश्किल नहीं होता

जितना मुश्किल होता है

व्यवस्थित करना

अपनी ऊसर चेतना और अशक्त धैर्य को

उस क्षितिज और अवकाश के मध्य कहीं

मुश्किल होता है व्यवस्थित करना

अपनी आस्थाओं को

उन प्रार्थनाओं में

उसी ईश्वर के सापेक्ष

जो आज हमारे लिए

एक तर्क का विषय है

अपने दिन और रात को व्यवस्थित करना

उतना मुश्किल नहीं होता

जितना मुश्किल होता है

अपनी आवाज़ और उदासी को

व्यवस्थित करना

व्यवस्थित करना अपनी नींद और सपनों को

अपने चल चुके क़दमों को व्यवस्थित करना

व्यवस्थित करना ख़ुद को उस अज्ञात में

जहाँ आज वह एक अनामंत्रित प्रवासी थी

स्रोत :
  • रचनाकार : स्मिता सिन्हा
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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