Font by Mehr Nastaliq Web

अलग बात

alag baat

अमर दलपुरा

अन्य

अन्य

अमर दलपुरा

अलग बात

अमर दलपुरा

और अधिकअमर दलपुरा

    जब ईश्वर-अल्लाह और ख़ुद पर नहीं रहा भरोसा

    एक पैंतीस साल का पिता

    पाँच साल के बेटे साथ हाथ फैलाता है

    हर किसी से कहता है बच्चे को भूख लगी है

    बेटा अपनी मासूमों निगाहों से कभी पिता को

    कभी लोगों के चेहरों को देखता है

    वे दोनों किसी कुछ देने पर निराश नहीं होते

    किसी के देने पर ‘भगवान भला करे’

    जैसा कोई आशीर्वाद नहीं देते

    यहीं सड़क किनारे सरकारी ज़मीन पर है उनका बसेरा

    जो बचा हुआ है

    सरकारी आदेश की लेट-लतीफ़ी की वजह से

    यहीं खुल गई है एक सरकारी रसोई

    और एक सेठ का शराबख़ाना

    शाम होते ही बहुत से पिता आते हैं शराब की दुकान पर

    या उसके हमउम्र युवा जिन्हें अभी भरोसा है ख़ुद पर

    बेटा चुपचाप हाथ फैलाता है

    कुछ को याद आती है अपने बच्चों की

    कुछ अपनी मजबूर शक्ल देख लेते है बच्चे के पिता में

    और उसे देते हैं दस-बीस रुपए

    इसे ख़ुशी कहा जाए या मजबूरी

    यह बेटे के लिए अलग बात है

    और पिता के लिए बिल्कुल अलग बात

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमर दलपुरा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए