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अभीष्ट

abhisht

शालिनी सिंह

शालिनी सिंह

अभीष्ट

शालिनी सिंह

अकारण तो नहीं

साउद्देश्य ही था

व्यवस्था के पन्नों पर

कुछ लिखित, कुछ अलिखित

प्रथम-दृष्टया तो अबूझ रहा

चेतना के उत्तरोत्तर क्रम के बाद जाना कि

उछाले गए सिक्के के चित और पट

दोनों तुम्हारे पाले में ही थे

काले दरवाज़ों के भीतर

गुलाबी पाँव रखती स्त्रियों को

भर अँकवार अपनाया गया

परंपरानुगामी होकर

मैंने भी अपने पाँवों को गुलाबी रंग लिया

तुमने भरी सभा में

अपनी सफलता का श्रेय

मेरी तरफ़ बढ़ा दिया—

ये कहते हुए सभा लूट ली

एक उदार पुरुष के रूप में

और सगर्व

अपनी पीठ थपथपवाई

उस लहालोट प्रदर्शन में फिर

मेरे किए का मोल ज़मीन पर औंधे मुँह गिरा

मैं और अधिक स्त्री होने के अभ्यास में

निरंतर प्रयासरत रही

ये उतनी बड़ी बात भी नहीं थी

पर इस ज़रा-सी बात ने

ताउम्र जीने दिया

थकान से नहीं

दुःख से थक जाता है हर कोई

मन को धूप दिखाओ तो शरीर की तरह

मन का द्रव्य भी सूख जाता है

चटकने लगते हैं

मन के हर जोड़

और मन के चिकित्सक को दिखाना

भली स्त्रियों के लिए अब भी अप्रासंगिक है

मैं परंपरा सलिला में

अपने हिस्से के सबसे सुंदर पुष्प सिराती हुई

अब भी प्रतीक्षा में हूँ

कि गुलाबी एड़ी में

कोई तो ऐसी फाँस चुभे

कि लाल रक्त भलभलाकर फूट पड़े

लाल अब भी क्रांति का प्रतीक माना जाता है

बस प्रतीक्षा उस यथोचित समय के अभीष्ट की है!

स्रोत :
  • रचनाकार : शालिनी सिंह
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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