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अब दर-दर मारा फिरत अही

ab dar dar mara phirat ahi

अनुज नागेंद्र

अन्य

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अनुज नागेंद्र

अब दर-दर मारा फिरत अही

अनुज नागेंद्र

और अधिकअनुज नागेंद्र

    अब दर-दर मारा फिरत अही, बिललात अही, मजबूर अही।

    भइया हम तौ मजदूर अही।

    कल तक तौ पूजा जात रहे सब कहयँ कि हम भगवान अही।

    हमरिन मेहनत के दमखम से वै कहयँ कि हम धनवान अही।

    वै कहा करयँ कि तुहिन से सब बंगला, कोठी, कार अहै।

    तोहरेन वोटे के बलबूते येहि देसवा कै सरकार अहै।

    जब बिपदा आय करोना कै, सब आपन हाथ सिकोरि लेहेन।

    घर कै दरवाजा बंद केहेन, सब रोजी-रोटी छोरि लेहेन।

    हम दाना का मोहताज भये, हँडिया-कुचुरी सब खाली भै।

    लरिकौ कै पेट भरि पाये, चौगिरदा से बदहाली भै।

    घरहूँ से कइसे मदत मिलय, सैकड़न कोस हम दूर अही।

    भइया हम तौ मजदूर अही।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुज नागेंद्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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