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आमि के...

aami ke

मृत्युंजय

अन्य

अन्य

मृत्युंजय

आमि के...

मृत्युंजय

और अधिकमृत्युंजय

    मैं दुःख, रुदन और शोक

    वह दिल जिसमें बसते हैं समझौते वाले गहरे लोक

    मैं टुकड़े-टुकड़े कटे हुए गेहूँन की डंठल

    हस्पताल के कूड़ाघर में फेंका बंडल

    मैं मधुमाखी जिसके डंकों से घायल फूलों की पंखुड़ियों पर महारास करते है देव

    मैं दिशाशूल, दिग्भ्रष्ट, विषैले सपनों वाली रात

    हरियाले वृक्षों पर बर्बर पक्षाघात

    दुरभिसंधि को थाम सँवारे, ऐसी निरलज बात

    अल्कोहल से भरा हुआ मैं लीवर

    भीषण उल्टी के दाग़ों से भरा हुआ एक चीवर

    मैं धर्म वृषभ की टूटी जाँघ

    जिसे चुनाव निशान बनाते मुल्ला-पंडित

    सूखी आँतों की डोरी पर देते तान

    आदिवासियों बीच आधुनिकता प्रसार का दल्ला

    गुपचुप और श्रमलग्न खेत मजदूरों में मैं धन पिसाच का हल्ला

    मैं कें कें करता पिल्ला

    मैं कातिक मासे राहगीर को धुंध

    धुवाँती गीली लकड़ी, बिन बाती का दिया

    मैं आलोचक पथभ्रष्ट बिना ज़िम्मेदारी का

    मैं सुपर मॉल के अंध-कूप का बेंग

    जिसकी टर्र-टर्र से डर-मर जाते छोटे-छोटे कीट फतिंगे

    मैं कुटिल गति से सरसराता हरी घासों में, छोटा सँपोला

    छिप-छिपाकर वार करता पिंडली पर

    हरियाली की लाशों से भरा हुआ रेफ़रिजरेटर

    फ़ॉर्महाउसों का मैं ही केयरटेकर

    मैं हत्याओं बिंधी जगह पर छुपम-छुपाई खेल

    जमे-जमाए झेले-झाले वृक्षों का जीवन-द्रव्य चूसती बेल

    कंसंट्रेशन कैंप तलक पहुँचाने वाली रेल

    मैं अविनाशी, मैं अहर्निशी

    घुटनों तक टपकी लार

    आत्मलोचना-फात्मलोचना मुझे नहीं दरकार

    स्रोत :
    • रचनाकार : मृत्युंजय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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