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ज़ियाबारी निगाहों की चुरा ले जाएगा

ziyabari nigahon ki chura le jayega

आनंद बहादुर

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आनंद बहादुर

ज़ियाबारी निगाहों की चुरा ले जाएगा

आनंद बहादुर

और अधिकआनंद बहादुर

    ज़ियाबारी निगाहों की चुरा ले जाएगा सूरज 

    हमें मालूम है हमको बहुत तरसाएगा सूरज 

    अभी उगता हुआ क़ातिल बहुत मासूम लगता है 

    ज़रा उगने तो दो उसको, बहुत झुलसाएगा सूरज

    चलो अच्छा हुआ उसने कभी उनको नहीं देखा

    अगर वो जुगनुओं को देख ले, सरमाएगा सूरज 

    हमारा घर है ऐसा, एक दिन भी दिन नहीं होता

    उसे कह दो हमारे साए से कतराएगा सूरज 

    चराग़ों से तो उनकी रोशनी की गठरियाँ ले लूँ 

    मगर डर है बहुत बेआबरू हो जाएगा सूरज 

    मैं भीगी पाँखुरी पर ओस का नन्हा-सा मोती हूँ 

    मुझे मालूम है, मुझको चुरा ले जाएगा सूरज

    स्रोत :
    • रचनाकार : आनंद बहादुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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