Font by Mehr Nastaliq Web

उपजे ज्यों इक नाद

upje jyon ik naad

डॉ. वेद मित्र शुक्ल

अन्य

अन्य

डॉ. वेद मित्र शुक्ल

उपजे ज्यों इक नाद

डॉ. वेद मित्र शुक्ल

और अधिकडॉ. वेद मित्र शुक्ल

    उपजे ज्यों इक नाद है कविता,

    जो कुछ भी आज़ाद है कविता।

    माना महफ़िल जगमग है पर,

    सबसे सुंदर दाद है कविता।

    भावों का त्योहार रहा जो,

    दोस्त, मुबारकबाद है कविता।

    सतयुग हो या कलियुग यारो,

    हर युग से संवाद है कविता।

    रामराज या मार्क्सवाद हो,

    सबको आर्शीवाद है कविता।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरिया की बातें पत्थर से (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : डॉ. वेद मित्र शुक्ल
    • प्रकाशन : सर्व भाषा ट्रस्ट
    • संस्करण : 2024

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY