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सूरमाओं को सर-ए-आम से डर लगता है

surmaon ko sar e aam se Dar lagta hai

संजय चतुर्वेदी

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संजय चतुर्वेदी

सूरमाओं को सर-ए-आम से डर लगता है

संजय चतुर्वेदी

और अधिकसंजय चतुर्वेदी

    सूरमाओं को सर-ए-आम से डर लगता है

    अब इंक़लाब को अवाम से डर लगता है

    हमीं हैं ज़ेर-ए-बहस और हमीं ख़ुदा-ए-बहस

    फिर हमें किसलिए अंजाम से डर लगता है

    वज़ीफ़ाख़ोर रवायत ने मार डाला है

    हुनर को गर्दिश-ए-अय्याम से डर लगता है

    हमारे वर्ग से संघर्ष गया शक़ आया

    जैसे अखरोट को बादाम से डर लगता है

    हमीं हैं रश्क़-ए-मलाइक हमीं नबी अव्वल

    हमीं को नींद में इल्हाम से डर लगता है

    स्रोत :
    • रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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