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ये मज़दूर है

ye mazdur hai

अन्नू रिज़वी

अन्य

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अन्नू रिज़वी

ये मज़दूर है

अन्नू रिज़वी

और अधिकअन्नू रिज़वी

    दिन भर धूप में जलते रहना

    बोझ उठाए चलते रहना

    गाली खाकर गलते रहना

    लेकिन सब चुपचाप है सहना

    बेकस है, मजबूर है

    ये मज़दूर है

    आँधी, तूफाँ, बारिश आए

    लेके महाजन साज़िश आए

    जिसके हिस्से दुःख हैं सारे

    वो क्या जीते और क्या हारे

    अपने ग़मों से चूर है

    ये मज़दूर है

    मैली धोती और एक गमछा

    फटा पुराना लेकिन अच्छा

    और पसीना क़िस्मत बनकर

    माथे से गिरता है छनकर

    यही तो इसका नूर है

    ये मज़दूर है

    अपने घर का भाग यही है

    और चूल्हे की आग यही है

    यही है अपने घर का झूमर

    इसके काँधों पे घर का घर

    और ये घर से दूर है

    ये मज़दूर है

    थक के साँझ ढले सो जाना

    और करे भी क्या दीवाना

    सुबह को फिर से बोझ वही है

    क़िस्मत में हर रोज़ वही है

    जीवन का दस्तूर है

    ये मज़दूर है

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनु रिज़वी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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