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मक्का तक देखने वाला मौलवी

makka tak dekhne vala maulavi

अन्य

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किसी मौलवी को उसके एक मुरीद ने खाने पर बुलाया। मेज़बान के घर की दहलीज़ पर पाँव रखते ही मौलवी चिल्लाया, “हट, हट!” मानो किसी जानवर को भगा रहा हो। मुरीद ने उससे पूछा कि क्या बात है, वह चिल्लाया क्यों। मौलवी ने उसे समझाया, “मैंने मक्का के पाक काबा में एक कुत्ते को घुसते देखा। मैं उसे भगा रहा था।” मेज़बान दंग रह गया! मौलवी की रूहानी ताक़त कैसी ज़बरदस्त है कि वह हज़ारों कोस दूर मक्का तक देख सकता है।

पर मेज़बान की बीवी को इस पर एतबार नहीं हुआ। मुल्ला को खाना परोसते समय उसने सालन को चावलों के नीचे छुपा दिया। औरों की थालियों में चावल-सालन और अपनी थाली में सिर्फ़ चावल देखकर मुल्ला इधर-उधर देखने लगा। मेज़बान की बीवी ने उससे पूछा, “कुछ चाहिए आपको?” मुल्ला ने कहा, “आप मुझे सालन परोसना भूल गईं।” वह बोली, “आप तो ठेठ मक्का तक देख सकते हैं, फिर आपको चावलों के नीचे का सालन क्यों नहीं दिखता?”

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत की लोक कथाएँ (पृष्ठ 301)
  • संपादक : ए. के. रामानुजन
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
  • संस्करण : 2001

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