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नाराज़गी गुम हो गई

narazgi gum ho gai

अन्य

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एक आदमी अखरोट के पेड़ के नीचे बैठा था। पेड़ के पास कद्दू की एक बेल थी। बेल के एक बहुत बड़े कद्दू पर उसकी नज़र पड़ी।

उस आदमी ने नाराज़गी से कहा, “भगवान तुम्हारी मूर्खता का भी जवाब नहीं! इतने बड़े पेड़ के इतना-सा फल और इस ज़रा-सी बेल के इतना बड़ा फल! अगर इस विशाल पेड़ पर कद्दू लगते और इस बेल पर अखरोट तो मैं तुम्हारी बुद्धिमानी को मान जाता।”

उसका यह कहना हुआ और एक अखरोट टप-से उसके सर पर गिरा। वह चौंक पड़ा। बोला, “प्रभु, तुम्हीं ठीक हो। अगर इतनी ऊँचाई से कद्दू मेरे सरे पर गिरता तो मैं मर गया होता। तुम्हारी बुद्धि और दया अपार है।”

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत की लोक कथाएँ (पृष्ठ 109)
  • संपादक : ए. के. रामानुजन
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2001

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