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ऋषि ने बनाई दुनिया

rishi ne banai duniya

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भारत के दक्षिण में रहने वाली भडिगा (अथवा मडिगा) जनजाति संसार का सृजनकर्ता परमात्मा के बदले जाम्बव ऋषि को मानते हैं। उनके अनुसार परमात्मा के आदेश पर जाम्बव ऋषि ने संसार का सृजन किया।

संसार का आरंभिक रूप द्रव रूप था। इसलिए पृथ्वी पर कोई भी वस्तु स्थिर नहीं थी। इस पर संसार का विकास करना बहुत कठिन था। इसलिए परमात्मा ने जाम्बव ऋषि से कहा कि ‘आप अपने सबसे छोटे पुत्र की बलि देकर उसका रक्त पृथ्वी के जल में मिला दें जिससे जल का कुछ भाग ठोस में परिवर्तित हो सके और उस पर दुनिया बसाई जा सके। जाम्बव ऋषि के सबसे छोटे बेटे का नाम था हेप्पु जिसके नाम का अर्थ ही था ‘जमना’।

जाम्बव ऋषि ने परमात्मा के आदेश का पालन करते हुए अपने सबसे छोटे बेटे की बलि दी और उसका रक्त जल में मिला दिया। जल में जितनी दूर तक रक्त के कण फैले, उतनी दूर तक जल ठोस भूमि में परिवर्तित हो गया। भूमि पर दुनिया बसाने के लिए परमात्मा और पार्वती ने जाम्बव ऋषि के पुत्र हेप्पु को पुनर्जीवित कर दिया। हेप्पु डक्कालोरु उपजाति का सृजन किया।

इस प्रकार पृथ्वी को स्थिरता मिली और इस पर प्राणियों का संसार बस सका।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 324)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

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