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परमात्मा धरमेस

parmatma dharmes

आज के संसार से पहले भी एक संसार पाया जाता था जिसे परमात्मा धरमेस नष्ट करना चाहते थे। वे संभवत: एक नया संसार बसाना चाहते थे। किंतु उनकी पत्नी पार्वती ने उनसे कहा कि वे पुराने संसार को पूरी तरह से नष्ट करें।

‘आप छोटे-छोटे बाणों से आग बरसाइए।’ पार्वती ने धरमेस से कहा।

किंतु परमात्मा धरमेस ने कांसे की थाल में आग भरकर संसार पर बरसा दिया। संसार में स्थित सभी मनुष्य जलकर भस्म हो गए। बस, एक भाई बहन जीवित बचे जिन्हें पार्वती ने केकड़े के बिल में छिपा लिया था। पार्वती के पास उस समय मसूर की दाल का आधा दाना था उन्होंने वही आधा दाना भाई-बहन को दे दिया जिसके सहारे उन्होंने सात दिन और सात रातें काट लीं।

काम समाप्त होने पर धरमेस को खाने की इच्छा उत्पन्न हुई किंतु चावल नहीं बचा था। तब धरमेस ने ऐसे व्यक्ति की ख़ोज में अपने कुत्ते दौड़ाए जो धान उगा सके। धरमेस के कुत्ते केकड़े के बिल तक जा पहुँचे। उन्होंने भाई-बहन को ख़ोज निकाला। धरमेस उन्हें अपने घर ले आए और उन्हें खिलाया-पिलाया। फिर उनसे धान उगाने के लिए कहा। भाई-बहन ने धरमेस से कहा कि वे उन्हें कुछ सिखाएँ।

तब धरमेस ने उन्हें खेत में बाँध बनाना और फसल उगाना सिखाया। धरमेस ने दिन और रात का भी बँटवारा कर दिया। उसने समय को सात दिन और रात बनाए। उसने उन दोनों को चावल से शराब बनाना भी सिखाया।

इस प्रकार धरमेस ने नए संसार का विकास किया।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 318)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

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